मुन्ना दौड़ता हुआ कमरे से निकल रहा था, कि उसका पैर फर्श में पड़े गिलास से टकराया गया और गिलास टूट गया। पास खड़े पापा जी ने एक चपत लगा कर ‘देखकर चलने’ की नसीहत पिला दी ।
चंद दिनों बाद एक दिन मुन्ना बरामदे में खेल रहा था । पापाजी कहीं जाने को जल्दी-जल्दी निकले तो उनका पैर कमरे में रखे कप से टकरा गया । मुन्ना की निगाह पापा जी से मिली किंतु अप्रत्याशित रुप से इस बार फिर चपत उसे पड़ गई और साथ ही नसीहत, कि चीजों को ठीक जगह पर क्यों रखते।
चंद दिनों बाद एक दिन मुन्ना बरामदे में खेल रहा था । पापाजी कहीं जाने को जल्दी-जल्दी निकले तो उनका पैर कमरे में रखे कप से टकरा गया । मुन्ना की निगाह पापा जी से मिली किंतु अप्रत्याशित रुप से इस बार फिर चपत उसे पड़ गई और साथ ही नसीहत, कि चीजों को ठीक जगह पर क्यों रखते।
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